मंगलवार को एक दिलचस्प वाकया हुआ, जब संयुक्त राष्ट्र महासभा में सबसे बड़े मुस्लिम देश के राष्ट्रपति ने हिंदू धर्म के ओम शब्द का उच्चारण किया इस पल ने हर किसी का ध्यान खींच लिया। इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रोबोवो सुबिआंतो ने एक भाषण को संबोधित किया संबोधित करते समय उन्होंने समापन ओम शांति ओम के साथ किया। राष्ट्रपति प्रोबोवो ने महासभा में दुनिया के नेताओं से एक साथ मिलकर काम करने की अपील भी की उन्होंने कहा कि आज की चुनौतियाँ सिर्फ किसी एक देश या धर्म की समस्या नहीं हैं, बल्कि मानवता के सम्मुख खड़ी चुनौतियाँ हैं जिन्हें मिलकर सुलझाना होगा फिर ‘ओम स्वास्तिअस्तु’ भी कहा जिसका अर्थ है आप धन्य और सुरक्षित रहें। यह इंडोनेशिया के हिंदू बहुल बाली द्वीप में बोला जाता है। सुबिआंतो ने अपनी स्पीच ओम शांति शांति ओम के साथ ही नमो बुद्धाय और यहूदी अभिवादन शालोम भी कहा। इस दौरान इंडोनेशियाई राष्ट्रपति ने इजरायल के समर्थन में बड़ा बयान दिया वहीं इसी पल पर हर किसी का ध्यान आकर्षित रहा
एक और बड़ा घोषणा-प्रस्ताव भी उन्होंने रखा: उन्होंने कहा कि गाजा में शांति बनाए रखने के लिए इंडोनेशिया अपनी सेनाएँ भेजने के लिए तैयार है — यदि संयुक्त राष्ट्र या महासभा इस आवश्यकता को तय करती है तो उन्होंने कहा कि देश 20,000 से अधिक जवानों को शांति स्थापना के लिए तैनात करने की पेशकश करने को तैयार है और न सिर्फ गाजा बल्कि यूक्रेन, सूडान या लीबिया जैसी बाज़ारों में भी शांति सैनिक भेजने का विचार रखा जा सकता है
इजरायल का समर्थन

संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित करते हुए उन्होंने इसराइल के समर्थन में भी बयान दिया
सुबिआंतो ने कहा कि ‘हमें इजरायल को भी मान्यता देनी चाहिए, उसका सम्मान करना चाहिए और उसकी सुरक्षा की गारंटी भी देनी चाहिए। तभी हम वास्तविक शांति हासिल कर सकते हैं।’
यह भी कहा कि इंडोनेशिया उसी दिन इजरायल को मान्यता देगा जिस दिन यहूदी देश फिलिस्तीन को मान्यता देगा। सुबियांतो ने कहा कि इंडोनेशिया ऐसी शांति चाहता है जो दिखाए की ‘ताकत से सब ठीक नहीं हो सकता।’
उन्होंने जोर देकर बोला, ‘इंडोनेशिया एक बार फिर फिलिस्तीन समस्या के द्वि-राष्ट्र समाधान के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराता है। केवल इसी से शांति स्थापित होगी। हमें फिलिस्तीन के लिए देश का दर्जा सुनिश्चित करना होगा और हम इजरायल की सुरक्षा की सभी गारंटी का समर्थन करेंगे
इसके साथ ही उन देशों की तारीफ की, जिन्होंने हाल ही में फिलिस्तीन को मान्यता दी है। सुबिआंतो ने इसे ‘इतिहास के सही पक्ष में कदम’ बताया।